Ravi sharma

Mar 28 2024, 16:21

राष्ट्रीय पार्टियों को आंखें दिखा रही क्षेत्रीय पार्टियां संदर्भ : पूर्णिया की सीट पर राजद हावी, पप्पू का सपना टूटा
2024 लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है । प्रथम चरण में बिहार की चार सीटों के लिए नामांकन का आज जहां अंतिम दिन है , वहीं दूसरे चरण के लिए गुरुवार को ही अधिसूचना जारी होते ही नामांकन की भी प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।
वहीं दूसरी ओर सीटों की शेयरिंग पर सहमति बने बिना राजद प्रमुख लालू प्रसाद द्वारा चुनाव सिंबल बांटने से गठबंधन में शामिल घटक दल खासकर कांग्रेस और राजद के बीच तकरार बढ़ सकती है ।
राजद पहले कांग्रेस को मात्र 6  सीटें देने को तैयार था । मगर इंडी गठबंधन की पटना की महा रैली में लालू प्रसाद द्वारा जोश में होश खोने और प्रधानमंत्री मोदी पर की गयी पारिवारिक टिप्पणी का उल्टा असर होता देख लालू कांग्रेस को 8 सीटें देने पर सहमत हो गये लगते हैं , मगर कांग्रेस कम से कम 11 सीटें चाहती है। 
वहीं पूर्णिया सीट मिलने की उम्मीद में पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का ही कांग्रेस में विलय कर दिया । मगर इससे पहले ही लालू प्रसाद ने पप्पू यादव के साथ खेला कर दिया । उन्होंने बीमा भारती, जो जदयू से टिकट कटने से नाराज थीं,  को राजद का सिंबल देकर उन्हें पूर्णिया से ही अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया ।
वहीं अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस के लिए महा गठबंधन में बने रहना उसकी मजबूरी है। सभी दल उसे आईना ही दिखा रहे हैं। यह हास्यास्पद बात ही लगती है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जीरो पर आउट होने वाले दल राजद के सामने कांग्रेस और वाम दल उसकी  ही गणेश परिक्रमा कर रहे हैं। वहीं लालू बिना सहमति के अपने उम्मीदवारों को सिंबल बांट रहे हैं।
और अंत में पहले देश में एक ही पप्पू से निहाल हो रहा था, अब एक और पप्पू कांग्रेस में शामिल हो गये । कांग्रेस का अब भगवान ही मालिक है।

Ravi sharma

Mar 26 2024, 16:41

हाट केक बनी पूर्णिया की सीट संदर्भ : इंडी गठबंधन की एकता संदेह के घेरे में
एक एक तरफ लोकसभा चुनाव, जिसका पहला चरण 19 अप्रैल को शुरू हो रहा है और इसके लिए नॉमिनेशन भी चल रहे हैं मगर इंडी गठबंधन में सीटों के बंटवारे की गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले रही है । पूर्णिया , सीवान सहित कुछ सीटों पर मामला फंसा हुआ है।  ये सीटें ऐसी हैं जिस पर राजद और कांग्रेस दोनों ही दावा कर रहे हैं। यादव बहुल होने के कारण पूर्णिया को लालू प्रसाद हाथ से निकलने देना नहीं चाहते।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पप्पू यादव को इंडी गठबंधन में शामिल करना चाहते थे मगर पप्पू यादव ने पूर्णिया से टिकट मिलने की उम्मीद में अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया । और कहा कि दुनिया छोड़ देंगे मगर पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे । वहीं दूसरी ओर जदयू से टिकट नहीं मिलने पर राजद में शामिल होने वाली बीमा भारती भी पूर्णिया से ही चुनाव लड़ने का दावा ठोक रही हैं। पूर्णिया सीट पर अब राजद और कांग्रेस आमने-सामने आ गये हैं।
इंडी  गठबंधन में आपसी कलह और बढ़ती जा रही है जो  कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद  गठबंधन में सब कुछ ठीक हो जाने का दावा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के दिग्गज  नेता इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं।
पूर्णिया सीट को लेकर इंडी गठबंधन में एकता संदेह के घेरे में दिखायी दे रही है। इंडी  गठबंधन के सूत्रधार नीतीश कुमार के पहले पाला बदलने , गठबंधन के नेताओं द्वारा सनातन और रामचरितमानस आदि पर आपत्ति जनक बयान जारी करना, राजद प्रमुख लालू प्रसाद द्वारा प्रधानमंत्री मोदी पर की गयी व्यक्तिगत टिप्पणी, राहुल गांधी द्वारा धार्मिक शक्ति का विरोध करने संबंधी बयान और एनडीए द्वारा फिल्म अभिनेत्री कंगना को टिकट दिये जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत द्वारा महिलाओं पर किया गया आपत्ति जनक पोस्ट, ये सारे प्रकरण इंडी गठबंधन की मुरझाती जड़ों में मट्ठा ही डाल  रहे हैं।
और अंत में  जब कांग्रेस बेगूसराय से कन्हैया कुमार को नहीं उतार पायी तो उसने पूर्णिया से पप्पू यादव को आगे कर दिया । अब लालू प्रसाद भी माथापच्ची कर रहे हैं कि मामले कैसे सुलझाया जाये। दूसरी ओर वाम दलों का सुर भी बदल रहा है।

Ravi sharma

Mar 24 2024, 17:31

कांग्रेस अन्य पार्टियों के लिए अछूत बनी संदर्भ: बिगड़ रही राजद - कांग्रेस की चुनावी केमिस्ट्री
कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और युवराज राहुल को अपनी पार्टी की कोई चिंता नहीं है। लगता है चुनाव से पहले ही कांग्रेस ने हथियार डाल दिये हैं। अगर यही स्थिति रही तो कांग्रेस की सीटों की संख्या और कम हो सकती है।
लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है । कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आलम यह है कि उसके दिग्गज नेता तक चुनाव लड़ने से कतरा रहे हैं ।
खबरों के अनुसार कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में किसी मंत्री या विधायक को उम्मीदवार नहीं बनाया है । कांग्रेसी दिग्गज जानते हैं कि उनकी पार्टी की स्थिति 2019 से भी बुरी होने वाली है । 2019 के लोकसभा चुनाव में एम मल्लिकार्जुन खड़गे , वीरप्पा मोइली और मुनियप्पा समेत कई शीर्ष नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था । वहीं 2024 में अयोध्या में भव्य और अलौकिक मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उठी लहर भाजपा को 400 के पार ले जा सकती है । इसी कारण कांग्रेस के शीर्ष नेता चुनाव नहीं लड़ना चाह रहे।
कांग्रेस जब से अस्तित्व में आयी है तभी से  वह सेकुलरिज्म की राजनीति करती आयी है । इसमें हमेशा हिंदू समाज को तोड़ने वाले कदम उठाये जाते रहे हैं । राजद  प्रमुख लालू प्रसाद द्वारा अपनी दो बेटियों को चुनाव सिंबल बांटने से इंडी गठबंधन की चुनावी केमिस्ट्री बिगड़ने लगी है । कांग्रेस को सभी दल अछूत मानने लगे हैं । सभी दल कांग्रेस को कम से कम सीटें देने पर ही तैयार हो रहे हैं।  पश्चिम बंगाल में ममता एकला चल रही हैं, बिहार में लालू प्रसाद 6 सीटें ही देने को तैयार हैं मगर कांग्रेस 12 सीटें चाहती है । बिहार की सियासत हर दिन नयी करवट ले रही है।
और अंत में स्थितियां जिस तरह से करवट ले रही हैं उससे तो लगता है इंडी गठबंधन का भंग होना निश्चित है। ऐसे में सभी पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ सकती हैं और इसका फायदा एनडीए को हो सकता है।

Ravi sharma

Mar 22 2024, 13:37

आने वाली पीढ़ियों का हमें रखना होगा ध्यान संदर्भ : छह बड़े शहरों में 25% तक कम हो रही पानी की सप्लाई
पृथ्वी पर जल के बिना जीवन की कल्पना असंभव है। ऐसे में जल के महत्व
और जल संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर साल दुनिया भर में 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है ।
पानी की बचत आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। बढ़ती आबादी के परिणाम स्वरूप बढ़ते औद्योगीकरण के कारण शहरी मांग में वृद्धि हुई है और पानी की खपत बढ़ गयी है। वैश्विक जल संरक्षण के वास्तविक क्रियाकलापों को प्रोत्साहन देने के लिए विश्व जल दिवस को सदस्य राष्ट्रों सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता है ।
आज के समय में जल संकट एक गंभीर समस्या बन गया है।  पानी की कमी, जल प्रदूषण, जलवायु प्रदूषण और अनियंत्रित जल उपयोग के कारण यह संकट बढ़ता ही जा रहा है।
पहली बार विश्व जल दिवस 1993 में मनाया गया था। पानी सभी जीवित प्राणियों के लिए आवश्यक है , लेकिन आज के समय में पानी की कमी और प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गयी है जो दुनिया भर के लोगों को प्रभावित कर रही है।  ऐसे में विश्व जल दिवस लोगों को इन समस्याओं के बारे में जागरूक करने और उन्हें जल संरक्षण के लिए काम करने के लिए प्रेरित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है ।
भारत सहित सारे विश्व  में जल संकट बढ़ता ही जा रहा है । संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में 2050 तक भारत में पानी का संकट सबसे ज्यादा होने की आशंका व्यक्त की गयी है ।
और अंत में जल संकट दूर करने में निम्न कारक कारगर साबित हो सकते हैं :-
बारिश के पानी को इकट्ठा कर इसका उपयोग सिंचाई, घरेलू कार्य और अन्य कार्यों के लिए किया जा सकता है।
घरों और उद्योगों में लीकिंग पाइपों को ठीक रखें ताकि पानी की बर्बादी ना हो सके।
नहाते समय, बर्तन धोते समय और अन्य कार्यों के समय जितना हो सके पानी का उपयोग कम करें।
नदियों, झीलों और अन्य जल स्रोतों में कूड़ा- कचरा न डालें और उसे प्रदूषित न करें।
जल संरक्षण के बारे में अपने परिवार , दोस्तों और समुदाय के लोगों को शिक्षित करें।
जल है तो कल है।

Ravi sharma

Feb 11 2024, 09:27

लोकसभा के साथ ही विस चुनाव की आ रही आहट संदर्भ : कुछ घंटों में हट जायेगा परदा
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद भी जान गये हैं कि उनके दोनों पुत्र राजनीति में ज्यादा आगे तक नहीं चल सकते। जिस प्रकार कांग्रेस की राजमाता सोनिया गांधी युवराज राहुल को लेकर परेशान हैं। वे भी अपने बेटे को पीएम बनते देखना चाहती हैं। वहीं राजद सुप्रीमो भी अपने बेटे को सीएम बनाना चाहते हैं।
इसलिए हो सकता है कि लालू प्रसाद अपनी पुत्रवधू यानी तेजस्वी की पत्नी रशेल उर्फ राजेश्वरी यादव उर्फ राजश्री को राजनीति में लॉन्च करना चाहते हों। इसलिए उन्होंने राजश्री के माध्यम से एक और चुनावी दांव खेला है। वे ऐन-केन-प्रकारेण सत्ता हासिल कर तेजस्वी यादव को सीएम बनाना चाहते हैं।
मगर लगता है कि राजद का समय अभी ठीक नहीं चल रहा है । कुछ दिन पहले लालू प्रसाद की पुत्री रोहिणी आचार्य के एक पोस्ट से तिलमिलाये नीतीश कुमार राजद का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल हो गये और इंडिया गठबंधन खंड-खंड हो गया ।
अब लालू प्रसाद की पुत्रवधू ने 8 फरवरी को पोस्ट किया था कि नीतीश कुमार के 17 विधायक गायब हो गये हैं। इसके ठीक दो दिन बाद राजद के तीन विधायकों के लापता होने और कई के बैठक में नहीं पहुंचने की खबर से सियासी हलचल तेज हो गयी।
इसलिए तेजस्वी यादव ने सभी विधायकों को फ्लोर टेस्ट होने तक अपने आवास में रहने का इंतजाम किया है । क्योंकि तेजस्वी यादव को अपने विधायकों पर विश्वास नहीं है । कांग्रेस के विधायक जहां हैदराबाद की खुली हवा में चारमीनार पर चढ़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर राजद विधायक ऊंची चहारदीवारी में कैद हैं।
जो हवा का रुख समझ रहे हैं, वह इस अवसर को अपने हाथ से जाने नहीं दे सकते। इसलिए फ्लोर टेस्ट में क्रॉस वोटिंग भी हो सकती है। बिहार विधानसभा के चुनाव में अभी करीब बीस महीने बाकी हैं । भोज और ट्रेनिंग के बहाने सभी पार्टियां अपनी-अपनी सेटिंग में लगी हैं। दिल्ली में नीतीश की सियासी तिकड़ी से मुलाकात का एक मायने यह भी निकल रहा है कि कहीं लोकसभा चुनाव के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव हों पर इसके लिए विधानसभा को भंग करना होगा। दूसरी ओर राजद और कांग्रेस ऐसा नहीं चाहते हैं।

Ravi sharma

Feb 08 2024, 09:51

जैसे उड़ि जहाज को पंछी पुनि जहाज पर आवै संदर्भ : अब इधर-उधर नहीं : नीतीश
भक्त शिरोमणि सूरदास जी का एक पद है,  मेरा मन अनत कहां सुख पावै, जैसे उड़ि जहाज को पंछी फिरि जहाज पर आवै। पद की उपरोक्त लाइन लगातार नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नीतीश कुमार पर सटीक बैठती है,  क्योंकि इंडिया गठबंधन रूपी नये जहाज का कप्तान ही जब बीच मझधार में उसे छोड़कर पुराने जहाज ( एनडीए ) पर बैठ जाये तो नया जहाज तो डूबेगा ही।
वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  से मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि " अब बस हुआ, इधर-उधर अब नहीं होगा, अब यहीं रहेंगे"। पीएम, गृह मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से नीतीश की मुलाकात में क्या रणनीति बनी,  यह आने वाले समय में उनकी कार्यशैली में परिलक्षित होगी।
दूसरी ओर बिहार की सत्ता पर काबिज होने के लिए लालू प्रसाद एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। उन्हें अब भी खेला होने की उम्मीद है। वहीं कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की यात्रा गठबंधन के लिए शुभ साबित नहीं हुई। उनकी मोहब्बत की दुकान का प्रचार करने के लिए निकाली गयी यात्रा नंबर दो जिन जिन राज्यों से गुजरी वहां की पार्टियां गठबंधन से अलग हो गयी।  तृणमूल कांग्रेस, जदयू, आप और अब यूपी में जयंत चौधरी भी सीटों के बंटवारे पर अखिलेश यादव से नाराज दिखे रहे हैं। हो सकता है कि वे इंडिया गठबंधन को अलविदा कह दें।
लालू प्रसाद भी जानते हैं कि उनके दोनों युवराजों से बिहार संभलने वाला नहीं है।  अकेले राजद भी चुनाव में नहीं उतरना चाहता है। उसे किसी नये चेहरे की जरूरत है। इसलिए राजद सुप्रीमो बड़े पुत्र तेजस्वी यादव की पत्नी राजश्री को बिहार में लांच करना चाहते हैं। इसलिए राजश्री से इस तरह का पोस्ट डलवाया गया है ताकि खेला होने का माहौल बना रहे।
वहीं दूसरी ओर भाजपा,राजद और कांग्रेस सभी अपने - अपने विधायकों पर नजरें गड़ाये हुए हैं। सभी जानते हैं कि लालच क्या नहीं करवाता है। सत्ता धारी दल में टूट की संभावना नहीं रहती है। इसलिए एनडीए को बहुमत साबित करने में कोई परेशानी होती नहीं दिख रही है।

Ravi sharma

Feb 06 2024, 17:27

303 को भाजपा की 370 सीटों में बदलेगी, एनडीए 400 पार संदर्भ : मजबूत विपक्ष विहीन होने की ओर अग्रसर देश
मोदी, शाह और नड्डा की तिकड़ी के आगे विपक्ष धीरे-धीरे नतमस्तक होता जा रहा है।  किसी भी पार्टी की समझ में नहीं आ रहा है कि एनडीए के विजय रथ को कैसे रोका जाये ।
भाजपा की एक दशक की सरकार ने कई बार देशवासियों को अपने फैसलों से आश्चर्यचकित किया है।  भाजपा ने देश की आधी आबादी तक यह संदेश पहुंचाने की कोशिश की है कि वही एक ऐसी पार्टी है जो उनके कल्याण के बारे में सोचती है।  इसलिए अंतरिम बजट में 9 से 14 आयु वर्ग की बच्चियों को सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए टीकाकरण की नयी योजना घोषित की गयी है। वहीं लखपति दीदी योजना का दायरा भी बढ़ा कर अब 3 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
इन सब बातों का उद्देश्य महिला मतदाताओं को अपने पक्ष में लामबंद करना है , क्योंकि भाजपा जानती है कि महिला मतदाताओं की संख्या विभिन्न राज्यों में 50% के आसपास है।
धीरे-धीरे अन्य दलों को भी एहसास हो रहा है क्योंकि महिलाएं न केवल बड़ी संख्या में मतदान करती हैं बल्कि उस पार्टी के पक्ष में एकजुट हो रही हैं जिसने उनकी मदद की है । इसका उदाहरण मध्य प्रदेश की शिवराज चौहान सरकार की "लाडली बहन" योजना और मोदी सरकार की "उज्ज्वला" योजना है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के जवाब में पीएम ने अबकी बार 400 पर का दावा किया । उन्होंने कहा कि देश में जो माहौल दिख रहा है उसे लगता है कि लोकसभा चुनाव में एनडीए 400 के पार और भाजपा 303 से आगे बढ़कर 370 तक पहुंच सकती है।

Ravi sharma

Feb 05 2024, 22:09

जरा सी आहट होती है तो डर लगता है, कहीं बीजेपी तो नहीं संदर्भ : कांग्रेस ने अपने विधायकों को तेलंगाना भेजा
आज कांग्रेस अपने विधायकों को बिखरने से बचाने के लिए कभी दिल्ली तो कभी तेलंगाना भेज रही है। उसने व्हिप भी जारी कर दिया है। इसलिए बिहार में अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए कांग्रेस आलाकमान चिंतित दिखायी दे रहा है।
सत्ता का नशा होता ही है ऐसा, जिसको एक बार लग गया वह फिर राजनीति से सीधे चार कंधों पर ही जाता है। जिस तरह सरकारी या प्राइवेट नौकरी में एक उम्र सीमा निर्धारित है। ये नियम राजनीतिज्ञों पर क्यों लागू नहीं होता। शरीर साथ नहीं दे रहा है मगर पद नहीं छोड़ेंगे। आज भी इसके कई उदाहरण मौजूद हैं।
बिहार में 12 फरवरी को नयी सरकार को बहुमत साबित करना है। इससे सबसे ज्यादा चिंता कांग्रेस को हो रही है। बिहार में जब भी सरकार बदलती है तो कांग्रेस आलाकमान को सबसे ज्यादा चिंता होती है । उसे डर रहता है इसके विधायक कहीं इधर-उधर ना हो जायें। कांग्रेस आलाकमान का यह डर वाजिब है।  इससे पहले भी कांग्रेस 2018 में इस स्थिति से गुजर चुकी है जब पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी के साथ तीन विधान पार्षद जदयू में शामिल हो गये थे।
सदन में बहुमत साबित करने से पहले जदयू और राजद अपनी - अपनी गोटी सेट करने में लगे हैं । कारण विधायकों में सत्ता सुख और मंत्री पद की लालसा चरम पर है । बताया जाता है कि कांग्रेस के कुछ विधायक नीतीश कुमार का साथ दे सकते हैं।
माना जाता है कि एनडीए को 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट पास करने में कोई परेशानी नहीं होती दिख रही है। बहुमत का आंकड़ा 122 है। एनडीए में बीजेपी 78, जदयू 45 , हम चार और एक निर्दलीय कुल संख्या 128 होती है। इसलिए डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने तेजस्वी के बयान कि खेला होगा, पर कहा कि उनको खेलने के लिए खिलौना जरूर दिया जायेगा। इधर, फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व अन्य भाजपा नेताओं से मिलेंगे।
दूसरी ओर मांझी अलग तेवर दिखा रहे हैं। वे बेटे को मिले मंत्रालय से खुश नहीं हैं। वहीं मांझी जानते हैं कि उनके एनडीए से अलग होने से उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मांझी केवल दबाव की राजनीति कर रहे हैं।

Ravi sharma

Feb 04 2024, 12:06

भारत में सनातनी इकोनामी होगी बूम संदर्भ : समृद्धि की नयी राह पर अयोध्या
22 जनवरी, 2024 एक ऐसी तिथि साबित हो रही है जिससे भारत की सनातनी इकोनामी तेजी से आगे बढ़ेगी। आज अयोध्या राम लला के आशीर्वाद से समृद्धि की नयी राह पर चल पड़ी है। राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के ग्यारहवें दिन तक करीब 25 लाख श्रद्धालु राम लला के दर्शन कर चुके थे। इस दौरान श्रद्धालुओं ने करीब 11 करोड़ रुपये दान किये। स्वर्णाभूषण और आन लाइन व चेक से भी श्रद्धालु चढ़ावा चढ़ा रहे हैं।
राम लला बनायेंगे सबके बिगड़े काम : संसार में एक अद्भुत और अलौकिक तीर्थ स्थल के रूप में अयोध्या उभर रही है। यह देश के ग्रोथ का इंजन बनती जा रही है।  राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन केवल अयोध्या में सवा लाख करोड़ का व्यापार हुआ था । वहीं सारे देश की बात करें तो करीब  - करीब हर राज्य में लाखों - करोड़ों का व्यवसाय हुआ।
कहते हैं कि बड़े - बड़े मंदिरों के आसपास अर्थव्यवस्था खुद-ब-खुद आकार लेने लगती है।  वहीं कई सदियों के इंतजार के बाद अयोध्या में राम लला की भव्य और अलौकिक मंदिर में हुई प्राण प्रतिष्ठा के बाद यूपी की अर्थव्यवस्था बूम कर सकती है। दूसरी ओर राम मंदिर के निर्माण के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश का गोल्डन ट्रायंगल भी पूरा हो गया। यूपी के पर्यटन का यह गोल्डन ट्रायंगल यूपी के साथ-साथ देश की इकोनॉमी को भी नया स्वरूप देगा।
क्या है गोल्डन ट्रायंगल  : प्रयागराज, वाराणसी और अयोध्या को गोल्डन ट्रायंगल कहा जाता है।  उत्तर प्रदेश के नक्शे में इन तीनों शहरों की स्थिति एक त्रिभुज की आकृति बनाती है। यह त्रिभुज यूपी के पर्यटन का मुख्य केंद्र बनने वाला है। यह त्रिभुज लगभग 400 किलोमीटर के दायरे में है। एक दिन  में ही इन तीनों जगह का लोग भ्रमण कर सकते हैं। यूपी के वित्त वर्ष 27 - 28 तक पर्यटन के दम पर यूपी की अर्थव्यवस्था 500 विलियन डॉलर के पार जा सकती है।
आज अयोध्या ने अंगड़ाई लेना शुरू किया है।  बड़े-बड़े महानगरों को पीछे छोड़ते हुए अत्याधुनिक एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और न जाने  क्या-क्या आधुनिक सुविधाएं स्थानीय लोगों को उपलब्ध होने वाली हैं। कहा जा रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या पांच करोड़ तक बढ़ सकती है। पर्यटक आयेंगे तो रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। निवेश बढ़ेगा, नौकरियां बढ़ेंगी, कई कंपनियां और फैक्ट्रियां खुलेंगी । साथ ही सरकार के टैक्स रिवेन्यू पर भी 20 से 25 हजार करोड़ का इजाफा हो सकता है। आज देश-विदेश से भारतीय व्यवसायी अयोध्या का रुख कर रहे हैं। अयोध्या में रोजगार के नये-नये अवसर खुल रहे हैं।

Ravi sharma

Feb 03 2024, 20:21

मांझी नैया ढूंढे किनारा संदर्भ : सीएम पद का मांझी को मिल रहा आफर ?
आज राजनीति का उपयोग अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ज्यादा किया जाने लगा है । आपकी महत्वाकांक्षा जहां आहत हुई, विरोध शुरू हो जाता है। राजनीति का स्वरूप ऐसा हो गया है कि आज गठबंधन की सरकार चलाना मेंढ़क तौलने के समान है। जिसकी अभिलाषा पूरी नहीं होती वह छलांग मारने को तैयार रहता है।
बिहार में एनडीए की सरकार बन गयी। अब 12 फरवरी को सीएम नीतीश कुमार को विश्वास मत में हासिल करना है । सत्ता पक्ष ( एनडीए) और इंडिया गठबंधन के संख्या बल में अंतर ज्यादा नहीं है । इसलिए सभी दलों को अपने विधायकों को एकजुट रखने की चुनौती है।
अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस के सामने चुनौतियां कुछ ज्यादा ही हैं। कांग्रेस ऐसी स्थिति से एक बार गुजर चुकी है।  इस बार भी डोरे डाले जा रहे हैं । इंडिया गठबंधन से जदयू के अलग होने के बाद कांग्रेस बिहार में राजद से अधिक सीटों की मांग कर सकती है।
वहीं मंत्रिमंडल विस्तार के लिए भाजपा - जदयू में मंथन हो रहा है । वहीं जीतन राम मांझी ने भी एक और पद की मांग कर दी है । ऐसे भी मंत्रिमंडल का विस्तार विश्वास के बाद ही होने की उम्मीद है । कांग्रेस जीतन राम मांझी पर चारा डाल रही है । उन्हें सीएम पद का ऑफर दिया जा रहा है।  हालांकि मांझी कह चुके हैं कि वह एनडीए छोड़ कर कहीं नहीं जायेंगे। दूसरी ओर इस मसले पर राजद बिल्कुल चुप है।
दूसरी ओर पड़ोसी राज्य झारखंड में भी सियासी ड्रामा हर पल बदल रहा है।शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री चंपई सोरेन अपने समर्थक विधायकों को बिखरने से बचाने के लिए उन्हें हैदराबाद में जन्नत दिखायी जा रही है।